डरना जरूरी हैं!
अगर आपको खुद को बदलने के
लिए
खुद के बनाये हुये
रास्तो सें अकेला चलना पड़ रहा हों।
और अगर इस अकेले पन सें
आपको डर लग रहा हों।
तो आपको डरना जरूरी है।
अगर आप समाज का
धर्म और जाती के नाम पर
हो रहा हुआ विभाजन रोकना चाहते हों।
और अगर इस विचारोंके चलते आपको
धर्म और जाती क़े ठेकेदारोंसे डर लग रहा हों।
तो आपको डरना जरूरी हैं।
अगर देश कि
सत्ताधारी पॉलिटिकल पार्टियां,
देश कि फौज और उनकी कर्तबगारी को
अपना पॉलिटिकल एजेंडा बना रही हों।
अगर आप इसके खिलाफ आवाज
उठाने जा रहें हो।
और इसके कारण आपको
इन पॉलिटिकल पार्टियोंसे डर लग रहा हों।
तो आपको डरना जरूरी हैं।
देश में विकास के नाम पर
कामगारों और गरीबोंका हो रहा हुवा शोषण
रोकने के लिए,
आपको यहां कि सत्तासे और
ठेकेदारोंसे लढना पड़ रहा हैं।
और अगर इसके कारण
इनसे आपको डर लग रहा हों।
तो आपको डरना जरूरी है।
अगर देश कि मिडिया
अपने कर्म के धर्म को छोड़कर,
सत्ताधारियोंका गुनगान गाने में व्यस्त हैं।
अगर इस परिस्थितियों के चलते कारण
आपको यह एहसास हो रहा हैं कि
देश में रहने वालें पीड़ितोंकि, गरीबोंकि,
अन्याय से लढने वाले लोगोंकि
और न्याय से रहने वाले लोगोंकि आवाज
कमजोर हो रही है।
और,
अगर इस परिस्थितियों कि ऐहसास कि वहज से
आपको डर लग रहा हों।
तो आपको डरना जरूरी हैं।
देश में हो रहे महिलाओं क़े
अत्याचारोंका दोषी दूसरा-तिसरा कोई नही,
बल्की आप खुद
और आपकी खुदकी महिलाओंके प्रति अनैतिक सोच हैं।
अगर इस विचार-मंथन के कारण
आप खुद को दोषी ठहरानेसे
डर रहे हो।
तो इस डर से
आपको डरना जरूरी हैं।
देश में अन्याय से पीडित लोगोंको न्याय देने के लिए
यहा कि पोलिस प्रशासन अगर कानून
अपने हातमें ले रही हो,
और इस परिस्थितियों के कारण
देशकि न्यायव्यवस्था खतरेमे आ सक्ति हैं।
इस एहसास के कारण अगर
आपको डर लग रहा हों।
तो आपको डरना जरूरी हैं।
आपको डरना जरूरी हैं,
इसलिए नही कि
आप कमजोर हों, डरपोक हों।
आपको डरना जरूरी हैं
इसलिए....
कि इस बदलाव लाने कें रास्ते पर आप अकेले हों।
फिर भी ,
इनसे डरकर भी
मरते दम तक जिंदा रहकर
हमें इनसे लढना जरूरी हैं।
"जय भारत"
वैभव चौधरी
अगर आपको खुद को बदलने के
लिए
खुद के बनाये हुये
रास्तो सें अकेला चलना पड़ रहा हों।
और अगर इस अकेले पन सें
आपको डर लग रहा हों।
तो आपको डरना जरूरी है।
अगर आप समाज का
धर्म और जाती के नाम पर
हो रहा हुआ विभाजन रोकना चाहते हों।
और अगर इस विचारोंके चलते आपको
धर्म और जाती क़े ठेकेदारोंसे डर लग रहा हों।
तो आपको डरना जरूरी हैं।
अगर देश कि
सत्ताधारी पॉलिटिकल पार्टियां,
देश कि फौज और उनकी कर्तबगारी को
अपना पॉलिटिकल एजेंडा बना रही हों।
अगर आप इसके खिलाफ आवाज
उठाने जा रहें हो।
और इसके कारण आपको
इन पॉलिटिकल पार्टियोंसे डर लग रहा हों।
तो आपको डरना जरूरी हैं।
देश में विकास के नाम पर
कामगारों और गरीबोंका हो रहा हुवा शोषण
रोकने के लिए,
आपको यहां कि सत्तासे और
ठेकेदारोंसे लढना पड़ रहा हैं।
और अगर इसके कारण
इनसे आपको डर लग रहा हों।
तो आपको डरना जरूरी है।
अगर देश कि मिडिया
अपने कर्म के धर्म को छोड़कर,
सत्ताधारियोंका गुनगान गाने में व्यस्त हैं।
अगर इस परिस्थितियों के चलते कारण
आपको यह एहसास हो रहा हैं कि
देश में रहने वालें पीड़ितोंकि, गरीबोंकि,
अन्याय से लढने वाले लोगोंकि
और न्याय से रहने वाले लोगोंकि आवाज
कमजोर हो रही है।
और,
अगर इस परिस्थितियों कि ऐहसास कि वहज से
आपको डर लग रहा हों।
तो आपको डरना जरूरी हैं।
देश में हो रहे महिलाओं क़े
अत्याचारोंका दोषी दूसरा-तिसरा कोई नही,
बल्की आप खुद
और आपकी खुदकी महिलाओंके प्रति अनैतिक सोच हैं।
अगर इस विचार-मंथन के कारण
आप खुद को दोषी ठहरानेसे
डर रहे हो।
तो इस डर से
आपको डरना जरूरी हैं।
देश में अन्याय से पीडित लोगोंको न्याय देने के लिए
यहा कि पोलिस प्रशासन अगर कानून
अपने हातमें ले रही हो,
और इस परिस्थितियों के कारण
देशकि न्यायव्यवस्था खतरेमे आ सक्ति हैं।
इस एहसास के कारण अगर
आपको डर लग रहा हों।
तो आपको डरना जरूरी हैं।
आपको डरना जरूरी हैं,
इसलिए नही कि
आप कमजोर हों, डरपोक हों।
आपको डरना जरूरी हैं
इसलिए....
कि इस बदलाव लाने कें रास्ते पर आप अकेले हों।
फिर भी ,
इनसे डरकर भी
मरते दम तक जिंदा रहकर
हमें इनसे लढना जरूरी हैं।
"जय भारत"
वैभव चौधरी
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